व्रत की कथा --- माँ दुर्गा
ने रक्तबीज, महिषासुर का वध किया. इससे माँ दुर्गा की जयकार हुई. माँ ने भक्त और
देवताओं की रक्षा की. माता ने भक्त और देवगणों का कल्याण किया. बुराई पर अच्छाई की
जीत हुई. मानव मात्र के कल्याण के लिए हम प्रतिवर्ष नवरात्रे मनाते हैं. माँ के
विभिन्न रूपों की पूजा करते है. यज्ञ व अनुष्ठान करतें हैं. माँ की पूजा करने का
सबसे अधिक प्रमाणित ग्रन्थ दुर्गा सप्तशती को माना जाता है.
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शुभ नवरात्री व्रत कथा और फायदे |
हमारे जो वैदिक ग्रन्थ हैं
उनसे हमें पता चलता है प्राणी मात्र का जीवन और इस प्रथ्वी को बचाए रखने के लिए
सदैव से ही देव व दानवों में युद्ध होता रहा है. देवता परोपकारी होते हैं. वह सबका
कल्याण करते हैं. धर्म की रक्षा करते हैं व अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. भक्तों
को सुखों से संपन्न करते हैं. भक्तों के जीवन में आने वाले कष्टों से भक्तों की रक्षा करते हैं. दानव जो होते हैं वो
इसके बिलकुल कार्य करते हैं. रक्तबीज, महिषासुर आदि दानवों ने तप करके वरदानी
शक्तियों को प्राप्त किया. उन्हें इन शक्तियों का घमंड हो गया और वे प्राणिमात्र
पर अत्याचार करने लगे. हमारे रक्षक देवता हैं वो उनको भी प्रताड़ित करने लगे उन्हें
कष्ट देने लगे. देवताओं ने एक शक्ति को उत्पन्न किया और उसे विभिन्न तरह के
अस्त्रों से सुसज्जित किया. यह शक्ति माँ दुर्गा के नाम से सारे संसार में प्रकट
हुई. भक्तों की रक्षा व कल्याण के लिए माँ भगवती दुर्गा ने नौ दिनों में नौ रूप
धारण किये और नौ दिनों तक बहुत भयानक युद्ध किया और शुंभ-निशुंभ, रक्तबीज आदि
राक्षसों का संहार किया. माँ भगवती ने भू लोक व देव लोक में एक नई चेतना का संचार
किया. बिना शक्ति की इच्छा के एक पत्ता भी
नहीं हिल सकता. तीनो लोकों के स्वामी भगवन शिव भी इ की मात्रा हटते ही शिव से शव
अर्थात मुर्दा बन जाते हैं. युगों - युगों
से जो संसार भर में जो मानव सभ्यता है उस सभ्यता ने सूर्य, चन्द्र, ग्रह,
नक्षत्र,जल, अग्नि, वायु, आकाश, प्रथ्वी, पेड़-पौधे, पर्वत व सागर में परम शक्ति का
अनुभव होता है. इस शक्ति की क्रपा से ही ब्रह्माण्ड चलायमान है. हमारी भूमि इस
सत्ता का सतत अनुभव करने से धन्य हो गई है. सनातन धर्म में गृहस्थ आश्रम को सबसे
ऊपर माना गया है. शास्त्रीय मर्यादा में रहकर योग्य जीवन साथी के साथ विवाह करना
एक धार्मिक कार्य है. व्यक्ति जब विवाह के सूत्रों में बंध जाने से व्यक्ति धर्म,
अर्थ, काम तथा मोक्ष को प्राप्त कर लेता
है. हमारे वेद, पुराण व शास्त्रों में यह बात बताई गई है की जब भी किसी असुरी शक्ति
ने अत्याचार के द्वारा मनुष्य के जीवन को नष्ट करने की कोशिश की है तो उसके बचाव
के लिए किसी देवी शक्ति ने धरती पर अवतार लिया है. जब महिषासुर जैसे देत्यों ने
अपने अत्याचार करके भू व देव लोक को परेशान किया है तो परमेश्वर की प्रेरणा से सभी
देवताओं ने एक अद्भूत शक्ति सम्पन्न देवी की रचना की. यह आदि शक्ति माँ
जगदम्बा के नाम से संपूर्ण संसार में व्याप्त हुई. इस शक्ति ने राक्षसों का वध
किया और भू लोक व देव लोक में एक नई शक्ति का संचार किया और शांति की स्थापना की.
Shubh Navratri Vrat Katha or Fayde |
नवरात्रों का पर्व साल
में दो बार मनाया जाता है चेत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा. इन्हें
चैत्र व शारदीय नवरात्री के नाम से भी बुलाया जाता है. इन दोनों ही ऋतुओं में
लह्लाहती हुई फसलें खेतों में आ जाती हैं. इन फसलों के ठीक ढंग से देखभाल व कीड़ों
से बचाने के लिए, परिवार को सुख साधनों से संपन्न बनाने के लिए दुखों कष्टों व
गरीबी को दूर करने के लिए हम सभी सफाई और पवित्रता से नौ देवियों की पूजा करते
हैं, हवन करते हैं. यज्ञ करने से दोबारा फिर बारिश होती है. यह बारिश हमें धन
धान्य से सम्पूर्ण बनती है और कई प्रकार की बीमारियों को खत्म करती है. जिस प्रकार
अँधेरे में घिरे हुए संसार को भगवन सूर्य की एक किरण ही काफी होती है ठीक उसी
प्रकार से माँ दुर्गा की पूजा हमारा कल्याण करती है.
Navratri Fast Wallpapers Images Photos |
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