Vigyan ke Anusaar Atma khan Rhti hai | विज्ञान की नजर में शरीर में कहाँ रहती है आत्मा




आत्मा हमारे शरीर में कौन से अंग में रहती है इस बात का वर्णन हिन्दुओं के धरम ग्रन्थ वेदों में किया गया है. वेदों के अनुसार आत्मा जो होती है वह हमारे मस्तिष्क में रहती है. म्रत्यु के बाद आत्मा हमारे मस्तिष्क से बाहर निकलती है. शरीर से बाहर निकलकर आत्मा दूसरे जन्म के लिए ब्रह्मांड में विलीन हो जाती है. कुछ वैज्ञानिकों ने आत्मा के ऊपर शौध भी किये हैं और इस बात की पुष्टि भी की है. म्रत्यु के समय कैसा अनुभव होता है इस पर भी वैज्ञानिकों ने शौध किया है. जिन लोगों ने म्रत्यु का निकट से अनुभव किया है उन लोगों के अनुभव पर वैज्ञानिकों ने एक सिद्धांत तैयार किया है. हमारी जो तंत्रिका प्रणाली है उसमें एक क्वांटम पदार्थ मौजूद रहता है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह पदार्थ आत्मा का निर्माण करता है. वैज्ञानिकों के अनुसार जब यह पदार्थ हमारे शरीर से बाहर निकल कर ब्रह्मांड में विलीन हो जाता है तब हमें म्रत्यु की तरह महसूस होता है. इस सिद्धांत के पीछे वैज्ञानिकों का मत यह है कि हमारे मस्तिष्क में जो क्वांटम होता है वह इस तरह से काम करता है जिस तरह की कंप्यूटर के लिए चेतना काम करती है. जब आदमी की म्रत्यु हो जाती है. CLICK HERE TO REAM MORE SIMILAR POSTS ...

 
विज्ञान की नजर में शरीर में कहाँ रहती है आत्मा
विज्ञान की नजर में शरीर में कहाँ रहती है आत्मा
 तब भी यह चेतना ब्रह्मांड में उपस्थित रहती है. डेली मेल की खबर के अनुसार एरिजोना विश्व विद्यालय में एनेस्थीसियोलोजी एवं मनोविज्ञान के प्रोफेसर एम्रेट्स एवम चेतना अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉक्टर स्टुवर्ट हेमेराफ़ ने इस अर्ध धार्मिक सिद्धांत की पुष्टि की है. यह परिकल्पना चेतनता के उस सिद्धांत पर आधारित है जो उन्होंने और ब्रिटिश मनोवेज्ञानी सर रोजर पेनरोस ने विकसित की है.


इस सिद्धांत से हमें पता चलता है की हमारे मस्तिष्क की जो कोशिकाएं होती हैं उन कोशिकाओं के अन्दर जो ढांचे बने होते हैं जिनको की हम माइक्रो टुबुल्स कहते हैं हमारी आत्मा यहीं पर मौजूद रहती है. दोनों वैज्ञानिको के अनुसार इन माइक्रोटुबुलुस पर जब क्वांटम गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ता है तो इससे हमें चेतनता का एहसास होता है. वैज्ञानिक इस सिधांत को ओर्वेक्स्त्रेड ऑब्जेक्टिव ----- कहते हैं. यह सिद्धांत हमें इस बात की जानकारी देता है कि हमारी जो आत्मा होती है वह हमारे मस्तिष्क में न्यूरान होते हैं उनमें कहीं मौजूद होती है. हमारी जो आत्मा होती है वह उन्ही तन्तुओं से बनी होती है जिनसे की हमारे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था. जब से काल का जन्म हुआ है तभी से आत्मा व्याप्त है. बोद्ध और हिन्दू धर्म की मान्यता है की चेतनता ब्रह्मांड का कभी अलग ना होने वाला अंग है. यह परिकल्पना इस मान्यता से काफी मिलती है. इस परिकल्पना के साथ हेमराफ का मत है की जब हमें म्रत्यु जैसा अनुभव होता है तो ऐसे में हमारे जो माइक्रो टुबुल्स होते हैं उनकी जो क्वांटम अवस्था होती है वह खो जाती है, लेकिन इसके अन्दर के जो अनुभव होते हैं वो खत्म नहीं होते हैं. आत्मा शरीर छोड़कर ब्रह्मांड में खो जाती है. व्यक्ति की दिल की धड़कन रुक जाती है और हमारे शरीर में जो रक्त का प्रवाह होता है वह बंद हो जाता है. माइक्रो टुबुल्स की जो क्वांटम अवस्था होती है वह खो जाती है लेकिन माइक्रो टुबुल्स में जो क्वांटम सूचनाएं होती हैं वह खत्म नहीं होती हैं. ये खत्म हो भी नहीं सकती हैं. यह सूचनाएं केवल ब्रह्मांड में बंट जाती हैं और लुप्त हो जाती हैं. उनके अनुसार यदि रोगी बच जाता है तो ये सूचना वापस माइक्रो टुबुल्स में  लौट जाती हैं और रोगी बताता है की उसे ऐसा महसूस हुआ है जैसे की उसकी म्रत्यु हो गई है. हेमराफ का कहना है की अगर रोगी स्वस्थ नहीं हो पाता और रोगी की म्रत्यु हो जाती है तो यह भी संभव है कि ये क्वांटम सूचनाएं हमारे शरीर के बाहर मौजूद हैं. हमारे देश में सदियों से माना जाता है की आत्मा का आस्तित्व होता है. श्राध पक्ष में हम उनका आह्वान भी करते हैं.  
 
 
Vigyan ke Anusaar Atma khan Rhti hai
Vigyan ke Anusaar Atma khan Rhti hai

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3 comments:

  1. कोशिस अच्छी की बताने की पर चूक गए। आत्मा का स्थान हमारे हृदय में होता है ना कि दिमाग में। स्वयं सोचा क्यो दुख सुख और डर मे हमारे हृदय में reaction होता है ना कि हमारे दिमाग पर।

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    1. सुझाव के लिए अजय भाई का बहुत बहुत धन्यवाद .....

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  2. mujhe ye bataye kya adunik vigyan manta hai atma ko

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