Netra Rog Chikitsa | नेत्र रोग चिकित्सा




ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आँखों की बीमारी का सीधा संबंध ग्रहों से होता है. जब हमारे ग्रह सही दिशा में नहीं चल रहे होते हैं और ग्रहों की स्तिथि ठीक नहीं होती है तो ऐसे में हमारी आँखों में बीमारी होने की संभावना अधिक होती है.

1.   लग्नेश जब बुद्ध यानि ३-६ या मंगल १-८ की राशी में उपस्थित होते हैं तो इससे हमारी आँखों में बीमारी होने की बहुत अधिक संभावना होती है.

2.  जब लग्नेश और अष्टमेश छठे भाव में एकसाथ उपस्थित होते हैं तो इन दोनों की उपस्थिति के कारण हमारी बांयी आँख में बीमारी अवश्य होती है.
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नेत्र रोग चिकित्सा
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3.   हमारा शुक्र जब छठे या आठवें भाव में उपस्थित होता है तो ऐसे में हमारी दाई आँख में बीमारी हो सकती है. 

4.  जिस व्यक्ति के १०वें और छठे भावों के स्वामी द्वितीयेश के साथ लग्न में उपस्थित हों वह व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी अपनी आँखों की द्रष्टि जरूर खोता है. 

5.  मंगल जब द्वादश भाव में उपस्थित होता है तो इससे व्यक्ति की बाई आँख में चोट लग सकती है और शनि जब द्वितीय भाव में उपस्थित हो तो ऐसे में व्यक्ति की दाई आँख में चोट लग सकती है.

पाप ग्रहों से द्रष्ट सूर्य जब त्रिकोण में उपस्थति होता है तो ऐसे में व्यक्ति की आँखों में बीमारी हो जाती है और व्यक्ति को बीमारी के कारण ठीक तरह से दिखाई नहीं देता है. 
 
Netra Rog Chikitsa
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