1. लग्नेश यदि बुध अर्थात ३-६मंगल १-८ की राशी में विराजमान होने से हमारी आँखों में बीमारी होने की जयादा
सम्भावना होती है.
2. अष्टमेश व् लग्नेश जब एक
साथ छटे भाव में विराजमान होते हैं तो हमारी बाई आँख में बीमारी हो जाती है.
3. छटे या आठवें में शुक्र के
विराजमान होने से दायीं आँख में बीमारी होने की संभावना रहती है.
4. दसवें और छटे भावों के
स्वामी द्वितीयेश के लग्न में विराजमान होने से व्यक्ति अपनी द्रष्टि खो देता है.
5. मंगल के द्वादश भाव में
स्थापित होने से बांयी आँख में चोट लग सकती है और शनि जब द्वितीय भाव में स्थापित
हो तो दांये आँख में चोट लगने की जयादा संभावना होती है.
6. त्रिकोण में पाप ग्रहों में
जब सूर्य स्थापित होता है तो व्यक्ति की आँखों में बीमारी हो जाती है और व्यक्ति
को कम दिखाई देने लगता है अर्थात व्यक्ति की नजर कमजोर हो जाती है.
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