खून और मज्जा का स्वामी मंगल
को माना जाता है. मंगल हमारे कानों में विराजमान होकर हमें सुनने की शक्ति देता
है. जब हमारे पास कुछ भी नहीं बचता, अर्थात हम कंगाल हो जाते हैं. हमारा घर चला
जाता है या रोजगार खत्म हो जाता है और कोई सहारा नजर नहीं आता है एसी विपरीत परिस्थति में भी मंगल हमारे मनोबल को बनाये
रखता है. विपरीत परिस्थितिओं में भी हमारे मानसिक संतुलन को बनाये रखता है. मंगल
को लड़ाई झगडे का कारक भी माना जाता है. लड़ाई झगड़े का कारक होने के कारण मंगल रक्षा
संस्थानों जैसे पुलिस, मिलिट्री आदि में नौकरी करवाने में हमारी सहायता करता है.
मंगल का रंग लाल होता है और लाल रंग हमारे
अन्दर जोश और स्फूर्ति पैदा करता है. संसार भर में होने वाले लड़ाई झगड़ों का कारण
है. यदि मंगल जोश पैदा करना बंद कर दे तो संसार भर में लड़ाई झगडे होने बंद हो
जायेंगे. हमारा पिछला जीवन जोकि बीत चूका है उसमें हमने जो अच्छे और परोपकार के
काम किये होते हैं उसी के फलस्वरूप मंगल हमें फ़ौज, मिलिट्री, डॉक्टर, इंजीनीरिंग,
होटल आदि के व्यवसाय में नाम, तरक्की, शोहरत और पैसा देता है. तकनिकी छेत्रों में
प्रसिद्धि देता है, लेकिन जब मंगल बिगड़ जाता है तो उस स्थिति में राहू जातक को
अपनी शक्ति देना शुरू कर देता है और जातक बुरी लतों में पड़ जाता हे और जातक
धुम्रपान करना शुरू कर देता है व शराब पीनी शुरू कर देता है.
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मंगल देता है सजा |
आदमी औरत को और औरत
आदमी को प्रताड़ित करना आरम्भ कर देता है. जातक घर में लड़ाई झगडा करने लगता है और
नाजायज संबंध बनाना आरम्भ कर देता है और जातक का झुकाव अन्य स्त्री या पुरुषों की
तरफ होने लगता है. अपनी काम वासना की पूर्ति के लिए जातक अपना मन दूसरे स्त्री या
पुरुषों में लगा लेता है. जातक अपनी शक्ति और सामर्थ्य का गलत प्रयोग करना शुरू कर
देता है. बुद्ध का मंगल के साथ कोई भी सम्बन्ध हो जाए तो वह जातक की सामाजिक
प्रतिष्ठा, सन्तान और आगे का जीवन सब कुछ नष्ट कर देता है. बुद्ध और मंगल सूर्य के
मित्र माने जाते हैं लेकिन बुद्ध जब मंगल को शक्ति देना आरम्भ कर देता है तो वह
सूर्य को भी गर्त में डाल देता है. बुद्ध चन्द्र और शनि की मदद से मंगल को गर्त
में ले जाता है. जातक के ऊपर जब राहू सवार होता है तो जातक अपने आप को सबसे
बुद्धिमान और बलशाली मानने लगता है. मंगल के प्रभाव के कारण परिवार टूट जाते हैं.
मंगल परिवार की बर्बादी के लिए जिम्मेदार होता है. राहू का नशा जब जातक पर चड़ता है
तो जातक की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व जातक अपने मंगल को भी अमंगल में बदल देता
है.
Mangal Deta Hai Saja |
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