मधुमेह/शुगर या डायबिटीज एक बहुत ही
गंभीर बीमारी है. यह बीमारी पूरे विश्व मैं फैली हुई है. यह एक बहुत ही भयंकर
बीमारी है. यह बीमारी एक बार किसी व्यक्ति को हो जाती है तो फिर यह ठीक नहीं होती
है. इन्सुलिन और दवाइयों द्वारा इसे कंट्रोल किया जा सकता है. शुगर की बीमारी
हमारी जो रोगों से लड़ने की जो कुदरती क्षमता है उसे कमजोर बना देती है. शुगर होने
का एक बड़ा कारण हमारी जीवन शैली भी है. वर्तमान समय में हमारा खान-पान और रहन-सहन
का तरीका भी मधुमेह का कारण बनता है. नियमित रूप से खाना न खाना, व्यायाम न करना
आदि से भी शुगर होता है. वास्तुदोष भी शुगर होने का कारण बनता है. वास्तु नियम का
पालन करके भी शुगर से बचाव किया जा सकता है. वास्तु शास्त्र एक बहुत ही पुरानी
वैज्ञानिक जीवन शैली है. वास्तु शास्त्र विज्ञान के अनुरूप तो है ही और इसके अलावा
वास्तु शास्त्र का सम्बन्ध ग्रह, नक्षत्र और धर्म से भी होता है. जब हमारे ग्रह
अशुभ चल रहे होते हैं और वास्तु दोष भी विद्यमान होते हैं तो ऐसे में हमें बहुत
भयंकर दुखों को झेलना पड़ता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पंच तत्वों पृथ्वी,
अग्नि, जल, आकाश और वायु व् वास्तु के आठ कोण दिशायें और ब्रह्म स्थल केंद्र को
संतुलित करना बहुत जरूरी होता है. ऐसा करने से हम और हमारा परिवार सुखी होकर जीवन
बिता सकते हैं. चिकित्सा शास्त्र में बहुत से लक्षण देखने और सुनने को मिलते हैं
लेकिन वास्तु शास्त्र मैं साफ़ तौर पर बताया गया है कि घर का जो दक्षिण-पश्चिम भाग
होता है वह शुगर की बीमारी का कारण बनता है. आगे शुगर होने की कुछ प्रमुख वास्तु
दोष बताये गए हैं ------
1.
यदि घर के दक्षिण-पश्चिम
कोण में कुआँ हो या पानी की बोरिंग हो या फिर पानी का टैंक हो तो यह शुगर बढाने का
कारण बनता है.
2.
यदि घर के दक्षिण-पश्चिम
कोण में बगीचा हो या छोटे-छोटे पोधे हों तो यह शुगर होने का कारण बनते हैं.
3.
घर का दक्षिण-पश्चिम कोना
बड़ा होने से भी शुगर का रोग होता है.
4.
घर का दक्षिण-पश्चिम कोना
सबसे छोटा हो तो समझो शुगर का दरवाजा खुल गया है.
5.
घर का दक्षिण-पश्चिम भाग
सबसे ऊँचा रखें क्योंकि यह भाग सबसे नीचा होने से शुगर होती है.
6.
घर के दक्षिण-पश्चिम भाग
में सीवर का गड्ढा होना शुगर का कारण बनता है.
7.
घर का जो ब्रह्म स्थान
होता है अर्थात घर का जो मध्य भाग होता है वह भारी हो या उसको बनाने में ज्यादा
लोहे का इस्तेमाल किया गया हो तो या फिर ब्रह्म स्थान से सीडियां ऊपर की तरफ जा
रही हों तो इससे शुगर का घर में प्रवेश हो जाता है. अर्थात घर का जो दक्षिण-पश्चिम
भाग उसे हम ठीक कर लेते हैं तो, सुधार लेते हैं तो कई असाध्य रोग दूर हो जाते हैं.
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इन वास्तुदोष के कारण होता है मधुमेह शुगर |
शुगर के उपचार के लिए वास्तु नियम----
1.
भूखंड या भवन के जो बीच
का जो स्थान होता है उस स्थान में स्टोर, लोहे का जाल या फ़ालतू की वस्तुएं पड़ी
नहीं होनी चाहिये, और हमारे घर की जो उत्तर-पूर्व दिशा होती है उसमें नीले फूल
वाला पौधा लगा होना चहिये.
2.
बेडरूम में कभी भी खाना
नहीं खाना चाहिये.
3.
बेडरूम में कभी भी जूते
या चप्पल न रखें.
4.
पीने के पानी के लिए
मिट्टी के घड़े का प्रयोग करें और उस घड़े में रोजाना सात तुलसी के पत्ते डालें.
5.
दिन में कम से कम एक बार
अपनी माँ के द्वारा बनाया हुआ खाना जरूर खाएं.
6.
आपका जो पिता है और जो घर
का बड़ा है उसका पूरा सम्मान करें.
7.
हर रविवार अपने दोस्तों
को मिठाई खिलाएं.
8.
ब्रहस्पति देव की हल्दी
की एक गाँठ लें. इसे एक चम्मच शहद में सिल पत्थर पर घिस लें. सुबह खाली पेट इसका
सेवन करें. ऐसा करने से शुगर की बीमारी ठीक हो सकती है. रविवार के दिन भगवान्
सूर्य को जल दें और बंदरों को गुड़ खिलाएं. इससे आप स्वयं महसूस करेंगे की शुगर
कितनी जल्दी खत्म हो रहा है.
9.
ईशान कोण में लोहे का कोई
भी सामान ना रखें.
ये सब कार्य करने से शुगर ठीक हो सकती
है.
शुगर का ज्योतिषीय उपचार-----
1.
शुगर की बीमारी वंशानुगत
भी होती है. शरीर में इन्सुलिन की कमी हो जाने से शुगर का रोग होता है. दवाओं से
शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है. ज्योतिष के अनुसार जलीय राशी कर्क, व्रश्चिक या
मीन एवं शुक्र की राशि तुला में दो या दो से अधिक पापी ग्रह मौजूद होते हें तो ऐसा
होने से शुगर होने की संभावना रहती है. शुक्र के साथ यदि ब्रहस्पति या चंद्रमा
दूषित हो जायें तो शुगर बीमारी हो सकती है. शत्रु राशी या क्रूर ग्रहों का प्रभाव
होने से भी शुगर का रोग होता है.
2.
ज्योतिषीय उपाय---- यदि
शुगर का रोग हो जाये तो शुक्रवार के दिन सफ़ेद कपडे में अपनी श्रद्धा के मुताबिक
सफ़ेद चावल सोलह शुक्रवार तक दान करें. यह दान या तो मन्दिर में करें या फिर किसी जरूरत
मंद व्यक्ति को करें. इसी तरह से ब्रहस्पति और चन्द्रमा की वस्तुओं का दान करें. शाम के समय या रात में
म्हाम्र्तुन्जय मंत्र का जाप करें. जामुन का सेवेन करें. सुबह दूध के साथ करेले का
पाउडर खांए. इस से शुगर में फायदा मिलता है.
अनुभूत ग्रह
स्थितियां ----
कई बार ऐसे
जातक भी मिल जाते हैं जिनकी कुंडली में लग्न पर शनि-केतु की पाप दृष्टी होती है.
चतुर्थ स्थान में व्रश्चिक राशी में शुक्र-शनि की यति, मीन पर सूर्य व् मंगल की
दृष्टि होती है और तुला राशि पर राहू स्थित होकर चंद्रमा पर द्रष्टि रखता है तो
ऐसे में जातक एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है लेकिन वह शुगर की बीमारी से पीड़ित भी
होता है.
प्रमुख कारण
---
ज्योतिष
शास्त्र के अनुसार जब मीन राशि में बुद्ध पर जब सूर्य की द्रष्टि होती है, या फिर
हमारा जो ब्रहस्पति होता है वह लग्नेश के साथ छठे भाव में उपस्थित होता है तो या
फिर दसवें भाव में मंगल शनि की युति या मंगल दसवें स्थान पर शनि से द्रष्ट हो जाये
तो व्यक्ति को शुगर का रोग हो जाता है. इसके अलावा लग्नेश जब शत्रु राशि में स्थित
हो, नीच का या लग्न व् लग्नेश पाप ग्रहों से द्रष्ट हो व् शुक्र अष्टम में
विद्यमान हो तो इससे शुगर हो जाता है. चौथे भाव में व्रश्चिक राशी में शुक्र-शनि
की युति होने से भी शुगर की बीमारी होती है.
शुभ नक्षत्रों
में औषधी सेवन और हवन ------
यदि हमें नई दवाई शुरू करनी होती है तो दवाई का आरम्भ
अश्विनी, पुष्य, हस्त नक्षत्रो में आरम्भ करनी चाहिये. ऐसा करना शुभ होता है.
गोचरीय ग्रहों की अशुभता दूर करने के लिए औषधीयों से स्नान करना चाहिय. ग्रह दूषित
हों तो हवन करवाना चाहिये. ऐसा करना शुभ होता है. समिधा, आक या मंदार की डाली
ग्रहण करनी चाहिये. ऐसा करने से सूर्य शान्त होता है. चन्द्रमा के लिए पलाश, मंगल
के खेर ग्रहण करनी चाहिये. बुद्ध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए
गुलर और शनि के लिए शमी ग्रहण करनी चाहिये. राहू के लिए दुर्वो और केतु के लिए
कुषा की समिधा, सरल, स्निग्ध डाली हवन के लिए ग्रहण करनी चाहिये और ग्रहों के
मन्त्रों साथ आहुतियाँ देनी चाहिये.
Madhumeh Vaastudosh ke karan |
Madhumeh Vaastudosh ke karan, इन वास्तुदोष के कारण होता है मधुमेह शुगर, Madhumeh, Vastudosha ke karan, Sugar ki Bimari or Jyotish, वास्तुदोष के कारण, मधुमेह, शुगर.
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