जब किसी जातक के लग्न में
जन्म समय के मुताबिक मंगल विद्यमान होता है तो उस जातक का व्यव्हार गर्म रहता है. हमारे
शरीर में लगन मस्तिष्क का कारक है. मस्तिष्क के अन्दर गर्मी रहने से जातक तामसिक
प्रवर्ती का हो जाता है. वह सभी कार्यों को तामसिक रूप से करता है. हमारे शरीर में
शुक्र बचपन से एकत्रित होता रहता है वह तामसिक प्रवर्ती के कारण खत्म होने लगता
है. शरीर में ताकत रज या वीर्य के द्वारा ही आती है. शुक्र से ही शरीर की गर्मी
बनी रहती है. शुक्र द्वारा ही हमारे शरीर के अन्दर खून की गर्मी बनी रहती है.
हमारे शरीर में जब रज या वीर्य कम हो जाता है तो हमारे शरीर के अन्दर का खून दिमाग
में तेज़ी से उतरने चड़ने लगता है. खून का उतार चढाव तेज़ हो जाने के कारण जातक में
चिडचिडापन आ जाता है. वह छोटी-छोटी बातों पर चिढने लगता है. जातक पत्नी से मारपीट
करने लगता है. यदि पत्नी पति की बातों को अनसुना करने लगती है या पति की बातों को
महत्व नहीं देती है तो इससे परिवार में विघटन होने लगता है. मंगल सहज तरीके से
अपनी द्रष्टियों से चौथे भाव यानि सुखों में जीवन साथी के कार्यों में, जीवन साथी
के शरीर को, जीवन साथी के धन और परिवार को अपने काबू में रखना चाहता है. ज्योतिष
में मंगल को सेनापति माना गया है. जातक उपरोक्त कारकों को अपने काबू में करना
चाहता है. CLICK HERE TO READ MORE SIMILAR POSTS ...
लग्न का मंगल कैसे हो |
जातक सहचर के परिवार और भौतिक धन को अपने अपमान की द्रष्टि से देखने
लगता है. जातक के मंगल पर राहू का असर देने से जातक के शरीर और दिमाग में खून का
प्रेशर और अधिक बड जाता है. मंगल के प्रभाव के कारण दिमाग को सुन्न करने लिए जातक
तामसिक पदार्थों का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है. जातक की दवाइयां बड जाती हैं. जातक
पर राहू के असर के कारण जातक के खून में केमिकल मिल जाते हैं. इन केमिकल के प्रभाव
के कारण जातक को करना कोई और काम होता है और जातक कुछ और ही काम करने लगता है.
मंगल के अन्दर जब शनि की दृष्टि हो जाती है तो शनि के कारण जातक का खून जमना शुरू
हो जाता है. जातक के सिर में खून जम जाने के कारण जातक को ब्रैन्हेम्रेज़ हो जाता
है या जातक के दिमाग की नसें फट जाती हैं. जातक परिवार को कसाई की दृष्टि से देखने
लग जाता है. इन सभी कारणों से जातक की बुद्धि समय पर काम करना बंद कर देती है.
बुद्धि के समय पर काम न करने के कारण एक्सीडेंट हो जाते हैं और सिर में भी चोट लग
जाती हैं. जातक के सिर में शनि की ठंडक और मंगल की गर्मी शांत हो जाती है. जातक
शादी के बाद सब कामों से दूर हो जाता है. मंगल पर केतु का असर होने से जातक
नेगेटिव विचारों की तरफ भागने लगता है. जातक को चाहे कितना भी समझाया जाए की ये
काम करो ये तुमसे हो जाएगा फिर भी जातक अजीब तरह के उदाहरण देने लग जाता है कि
मेरे एक जानकार ने यह काम किया था उससे यह काम हुआ ही नहीं. फलां आदमी के काम में
रुकावट आ गई थी. उसे अधिक सहारे की जरुरत है. जातक के जीवन साथी को शादी सम्बन्ध
का जो लाभ मिलना चाहिए वह वो अपने जीवन साथी को नहीं दे पाता है. इन्ही कारणों से
जातक के जीवन साथी के अन्दर जातक के प्रति नकारत्मक भाव आने लगते हैं. जातक का
जीवन साथी भोग वासना की तरफ अपना ध्यान लगा लेता है या वह अपमान की जिन्दगी नहीं
जीना चाहता है. वह आत्महत्या कर लेता है. अगर मंगल पर सूर्य की दृष्टि हो जाती है
तो जातक का अहं बड जाता है, और जातक अपने मुकाबले में किसी को भी कुछ नहीं समझता
है. इससे सहचर के अंदर नकारात्मक भाव आ जाते हैं. जातक उम्र भर उस अहम को सहता
रहता है या किसी भी तरीके से कौर्ट के द्वारा या समाज के द्वारा तलाक ले लेता है.
Lagan ka Mangal Kaise Ho |
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