अनार एक बहुत ही ज्यादा
गुणकारी फल है. अनार खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है और यह हम सबको अच्छा लगता
है. अनार में बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं. बहुत जयादा गुणकारी होने के बावजूद
भी हम अनार का प्रयोग कम ही करते हैं. इसका कारण यह है कि अनार का फल बहुत महंगा
होता है. महंगा होने के कारण आम आदमी अनार को खरीद ही नहीं पाता है. फल के तौर पर
अनार का प्रयोग कम ही किया जाता है. अनार के फल में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं.
आयुर्वेद में अनार के फल का प्रयोग काफी पुराने समय से ही किया जाता है.
अनार का पेड़ ज्यादा ऊँचा
नहीं होता है. अनार के पेड़ की ऊँचाई 8 से 10 फीट तक होती है. अनार की पतियाँ
छोटी-छोटी होती हैं. अनार का पेड़ हरे रंग का होता है. अनार के फूल पीले व लाल रंग
के होते हैं. कुछ पोधों के फूल सफेद भी होते हैं. अनार का पेड़ रोपाई के चार साल
बाद फल देना शुरू करता है. सितम्बर से फ़रवरी के महीने तक अनार का पेड़ अधिक फल देता
है.
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गुणकारी व् स्वादिस्ट फल अनार |
अनार के फल को अलग-अलग
भाषायों में अलग अलग नाम से जाना जाता है. संस्कृत में अनार को दाड़िम कहते हैं.
हिंदी में अनार कहते हैं. मराठी भाषा में डालिम कहते हैं. गुजराती भाषा में अनार
को दाडम कहते हैं. राजस्थानी भाषा में भी अनार को दाडम कहते हैं. बंगाल में अनार
को दाड़िम और तेलगु में दालिम्ब काया कहा जाता है. तमिल भाषा में अनार को माद्लाई
और मलयालम में मातल्म कहते हैं. अंग्रेजी में अनार को पोमेग्रेनेट कहते हैं और
लैटिन में प्यूनिका ग्रेनेटम कहते हैं.
अनार का पेड़ पथरीली जमीन
में भी पाया जाता है. ईरान, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान की पथरीली जमीन में भी अनार
का पेड़ पाया जाता है. हमारे देश के सभी राज्यों में अनार पैदा होता है. कुछ
राज्यों में मुख्य रूप से अनार की ही खेती की जाती है. ये जिले हैं कर्नाटक,
कोलार, बंगलूर व मैसूर.
आयुर्वेद के अनुसार अनार
तीन तरह का होता है—मीठा, खट्टा-मीठा और सिर्फ खट्टा. मीठा अनार वात, पित और कफ
तीनों रोगों में लाभदायक होता है. तृष्णा, दाह, ज्वार्, दिल के रोग व कंड रोग में
मीठा अनार बहुत लाभ देता है. मीठा अनार खाने से मुँह से आने वाली बदबू खत्म हो
जाती है. अनार का फल खाने से हमें तृप्ति मिलती है. अनार ताकत व वीर्य को बढाता
है. अनार ग्राही, स्निग्ध, और मलरोधक होता है. अनार हमारी मेधा शक्ति को बढाता है
व बुद्धी को ताकत देता है. खट्टा-मीठा अनार हल्का और रुचिकारक होता है. पित के
रोगों में लाभ देता है. खट्टे अनार से वात,पित और कफ तीनो रोगों में लाभ मिलता है.
बेदाना और कंधारी अनार की सबसे बढ़िया किस्में होती हैं. अनार के बीज सफेद, गुलाबी
या लाल रंग के होते हैं. बेदाना अनार की सबसे उतम किस्म होती है.
आयुर्वेद के अनुसार अनार का
फल त्रिदोषनाशक होता है अर्थात वात, पित, कफ तीनो तरह के रोगों में अनार से लाभ
मिलता है. दिल के मरीज़ को अनार से बहुत लाभ मिलता है. वामन, संग्रहनी, अतिसार,
त्रशानाशक और पौष्टिक होने के साथ-साथ अनार ताकत व बल भी देता है और वीर्य को
बढाता है. दिल के रोगों और उच्च रक्तचाप में भी अनार लाभ देता है. अनार उदर विकार
और क्रमी को खत्म करता है. मीठे अनार से अम्लपित के रोगों में लाभ मिलता है.
वायुगोला और अग्निमांध के रोगों में फायदा देता है. अनार सभी तरह त्वचा विकारों
में लाभ देता है. गुर्दे की खराबी, पेशाब में जलन, पत्थरी व पाचन तन्त्र की कमजोरी
में लाभ देता है. अनार खाने से थकान कम महसूस होती है. पुरुषों की कमजोरी, बीमारी के
बाद की कमजोरी और खून की कमी में अनार से बहुत लाभ मिलता है. जिन बच्चों का ठीक
ढंग से विकास न हो पा रहा हो या वो कमजोर हों तो उन्हें अनार जरूर खाना चाहिए.
Gunkari v Swadist Fal Anaar |
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