मेरे कान में कई बार बहुत
तेज़ दर्द हो जाता था. मैंने प्राक्रतिक चिकित्सा के बारे में सुना और मैंने
चिकित्सा शुरू की. शुरू में तो मुझे प्राक्रतिक चिकित्सा बहुत कठिन लगी फिर मैंने
विचार किया की मुझे प्राकृतिक चिकित्सा करनी ही है. चाहे यह कितनी भी कठिन क्यों न
हो. तीन दिन तक मैंने केवल जूस का सेवन किया. इसके बाद दो दिन तक केवल दूध का सेवन
किया. इसके बाद दो दिन फलों का सेवन किया. अगले दिन केवल पानी ही पिया और फल खाए.
दिन में तीन बार कान में तिल गर्म किया हुआ और लहसुन डाले. रोज़ तिल के तेल से
मालिश की. प्रतिदिन पावडर की मालिश की. आँखों पर मिटटी व बर्फ की ठंडी पट्टी रखी.
इस पट्टी से आंख और कान दोनों को आराम मिलता था. मुझे धुप स्नान दिया जाता था. इन
सब इलाजों से मेरे कान का दर्द ठीक हो गया. कान में तिल का तेल डाला. कुंजल व
गरारे भी किये. कुंजल व गरारे करने से दर्द में आराम मिला. मैंने एलोपथिक दवाइयां
खाई लेकिन मेरे पेट का दर्द ख़त्म नहीं हुआ. प्राक्रतिक उपचार से मेरे कान और पेट
का दर्द बिलकुल ठीक हो गया.
कान दर्द का इलाज |
Kaan ke Dard ka Ilaaj, कान दर्द का इलाज, Kaan ke Dard ki Prakratik Chikitsa, कान के दर्द की प्राकृतिक चिकित्सा.
Kaan ke Dard ka Ilaaj |
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